नई दिल्ली: सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह द्वारा प्रस्तावित विवादित नागरिकता संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश करने की मंजूरी मिल गई. कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों ने विधेयक को सदन में पेश करने का विरोध किया. उन्होंने कहा कि विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है.
लोकसभा के कुल 293 सदस्यों ने विधेयक को पेश किए जाने के पक्ष में मतदान किया जबकि 82 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया.
इस विधेयक में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले छह गैर मुस्लिम समुदायों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने की बात कही गई है. विधेयक को सांप्रदायिक और मुस्लिम विरोधी बताकर विरोध किया जा रहा है. इसके खिलाफ पूर्वोत्तर के कई राज्यों में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहा है.
अमित शाह द्वारा विधेयक को पेश करने की मंजूरी मांगे जाने के बीच विधेयक को पेश करने की मंजूरी न दिए जाने के बहस की शुरुआत करते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी. चौधरी ने शाह से पूछा कि क्या आपको संविधान पसंद नहीं है?
विधेयक को खुले तौर पर मुस्लिमों को निशाना बनाने वाला बताने की चौधरी की टिप्पणी का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि यह विधेयक ऐसा 0.001 फीसदी भी नहीं कर रहा है.
विधेयक का विरोध करते हुए रिवाल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि धर्म को नागरिकता का आधार नहीं बनाया जा सकता है. अनुच्छेद 25 और 16 गैर-नागरिकों सहित सभी पर लागू होता है, जो कि धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है.
तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि शाह के इस बचाव में कोई दम नहीं है कि इसमें मुस्लिमों का जिक्र नहीं है. उन्होंने कहा, अमित शाह सदन में नए हैं. शायद वे नियमों को नहीं समझते हैं. विधेयक विभाजनकारी और असंवैधानिक है.
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